Womens day

नारी भी तो इंसान है,फिर क्यों कमजोर समझते हैं..
लैंगिक असमानता के सच से, सशक्तिकरण को झकझोरते हैं...

आदमी चार आदमी से मिल ले, तो मिलनसार कहलाता है ...
नारी अगर चार बात कर ले, चरित्र खराब हो जाता है...
पुरुषवादी राष्ट्र बेड़ियों में बांधकर, खुद आजाद मंडराता है...
नारी राष्ट्र के परचम पर नजर डालो, कितने पदक जीत के लाता है...
पोशाक, होंठ की लाली देखकर, लोग पहचान कर लेते हैं..
चूड़ी लायक तो खुद हैं,चूड़ी को कमजोर समझते हैं..

सर कलम की बात पर,रानी लक्ष्मीबाई की तलवार आती है...
अनसुलझी एक दास्तां भी है,बच्ची आरुषि तलवार आती है...
जल्लादी पिला दी संस्कारों को,शर्म हया न आती है...
रोज अखबार की सुर्खियों में देखो,कितनी 'निर्भया' आती है..
माउंट एवरेस्ट से हौसलो की ऊंचाई तक, कई किरदार शिखर तक चढ़ते हैं...
अखाड़े में मिट्टी चटाने वाली नारी को, और लोग कमजोर समझते हैं...

असामाजिक प्रथा नारी शोषण में, ऋतुराज का कन्यादान याद आता है...
ये अपना घर,पराया घर,नारी का स्वाभिमान पिस कर रह जाता है...
नही बदलेगी ये तस्वीर, सोशल साइट्स पर नारी सम्मान के आगाज से...
बदलेगी ये तस्वीर तभी, जब इज्जत निकले दिलों की दराज से...
नारी भी तो इंसान है, फिर क्यों कमजोर समझा जाता है..
अरे भारत की ही बात ले लो, ये भी तो भारत-माता कहलाता है...
✍ कवीश कुमार
Kavish kumar

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