Sorry'

सारे बिखरे अल्फाजों की, गिरह खोल देता हूं...
गुस्से में पता नहीं, क्या-क्या बोल देता हूं..
पर सच बताऊं तो अब भी, मैं तुमको सच्चा दोस्त कहता हूं..
दोस्ती की छांव में क्यूंकि, मैं चैन से रहता हूं..
अब तुम मुझसे नाराज़ रहकर, मुझे नाराज मत करना...
गर अब भी मानते हो यार मुझे, तो मुझे sorry दें देना..
गुस्से में पता नहीं क्या-क्या बोल देता हूं..
मुझे माफ कर दो, ये मेरे मुंह से बोल देता हूं...
Kavish

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