मां

मां ही जन्मदात्री,जीवन की पहली झंकार है..
मां ही जीवन है, मां में सिमटा सारा संसार है..

पहले प्रेम की पहली मूरत,नि:स्वार्थ प्रेम की संदर्भ है...
पालन करता खुद में ही, मां का अखंड गर्भ है...
सब भावों से समझौता कर,कभी कुछ न कहती है..
बच्चे के नवजीवन पर, सबसे भारी पीड़ा सहती है..
अन्न प्राशन्न के पहले ही, मां का दूध पहला संस्कार है..
मां ही जीवन है, मां में सिमटा सारा संसार है..

मां में ही भागवत है, मां ही कुरान है..
मां ही ममता की मूरत है, वात्सल्य का पुराण है...
हर सुबह की पहली आवाज, मां ही मीठा कलरव है...
नन्हे बच्चे के नाजुक होंठों पर, मां ही पहला स्वर है...
मां ही पहला स्पर्श है, मां काले टीके का श्रंगार है..
मां ही पहली भाषा है, मां ही जायज फटकार है..

तकलीफ की वेदना पर, मां ही थपकी देती है...
पहले बच्चे को सुलाती है, फिर खुद झपकी लेती है..
बच्चे की मुसीबतों पर, मां ही शाश्वत ताबीज है..
मेरा बच्चा गलत नही है,ऐसी मां की तासीर है..
गरम हिलोरे खाती जिंदगी में, मां शीतल मेघ मल्हार है...
मां ही माथे का चंदन, मां ही अटूट बंधन का हार है..

मां ही शुभारंभ श्रीफल है, मां ही शगुन की दही कटोरी है...
बच्चे के लिए जागती रात है, मां ही चंदामामा की लोरी है..
सर पर हाथ नही मां का, देखो उसकी क्या हालत है..
ममत्व की जिसको कदर नही, उसको दोजख़ में भी लालत है..
मां से ही किलकारी है, मां से ही जन्म संस्कार है...
मां ही जीवन है, मां में सिमटा सारा संसार है..

-Kavish kumar
Date-10-may-2016

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