Collab bhavika and Aatish

तुम बिखरते चले गए...
हम बिखरते चले गए...
फिर मोहब्बत में वो मुकाम आया..
वक्त का अनसुलझा एक पैगाम आया...
दूर जा रहे थे हम, ठहर न पाए..
हम ठहरते भी क्यों , ये वजह भी ना आए..
गलत रस्मों को होने पर तुम टोक ना सके..
हम चलते चले गए तुम रोक ना सके..
✍ Bhavika meerani

गलतफहमियों के निशाने पर,हम सध चुके थे..
वक्त की भारी बेड़ियों में, हम बंध चुके थे...
उस गलत रस्म पर, तुमको टोकना चाह रहा था...
जिंदगी भर के लिए, अपने पास रोकना चाह रहा था...
पर शायद वो लम्हा जुदाई का,इतना दूर नही था...
मैं रोक लू तुमको, शायद किसी को मंजूर नही था...
कितने ही तूफान उठे,अब भी तुम ही खास हो...
कितनी भी दूर हो हम, अब भी तुम मेरे पास हो...
✍Aatish kumar

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