जिक्र कर लेता हूं

खुद से करता हूं बात जब, खुद से तेरा ज़िक्र कर लेता हूँ...
बस इसी तरह बात - बात में, तेरी थोङी फिक्र कर लेता हूँ...
तू भी तो 'याद' के पौधे को, 'याद' से जल देती होगी...
बस इसी तरह यादों की हल्दी को, गालों पर तू मल लेती होगी..

देखकर - अनदेखा कर चुप रहकर, जैसे मौन-उपवास कर लेती हो...

बस इस तरह चुप रहकर ही, मिथ्य बातों पर विश्वास कर लेती हो...

गलतफहमी दिल की जमीन पर रखकर, सवाल बङे कर लेती हो...

सफ़ाई मांगती हो हमारी फिर, झूठे 'उपन्यास' खङे कर लेती हो...
Kavish

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