Collab_aatish_&_himanshu
Collab_Aatish_&_Him-ansh
कैसा लगता है जब,दिल में कोई गम बैठ जाता है...
बिन बोले भीतर कचोटता,उजाले में तम पसर जाता है...
नब्जों में बहता रक्त,ठंडा होने लग जाता है...
बुरे ख्यालातों की आंधी में,कोई विचार झकझोर जाता है..
कैसा लगता है जब दिल में,कोई गम बैठ जाता है...
कैसा लगता है जब हंसाने वाला,खुद रोने बैठ जाता है...
कैसा लगता है जीभ से,शब्द निकले नही बिलखने लगे बस..
कैसा लगता है जब पानी भी,'आतिश' बन जाता है...
कैसा लगता है जब,हर कोई दुश्मन लगने लग जाता है ...
✍ Aatish_kumar
कुछ गम आए दामन में हमे गुमनाम कर गये...
अभी तो उगा था सूरज पल में शाम कर गये...
मानते है कुछ तो था उनकी शख्सियत का असर...
जिस रस्ते से वो गुजरे वो रस्ता जाम कर गये...
कुछ पल गुजारे थे 'हिम-अंश' उनकी बाँहो में..
दिल कह रहा था खुद से पल में चारो धाम कर गये..
उन्हे मुश्किल हुई महसूस वफा साबित करने में..
बड़ी जल्दी वो बेवफा कहकर यूँ ही बदनाम कर गये ...
✍ Himanshu_tiwari
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