रकीब

वो लम्हा आशिक की दुखती-नस पर हाथ रखता है...
जब मेरा महबूब उसके महबूब की बात करता है...
वो रक़ीब की सारी बातें खुल के बोलने लगता है...
यहां आशिक का खून जबरदस्त खोलने लगता है...
वो रक़ीब की बाते सुनाकर उसे तंग करता है..
मन में उमड़ता रश्क फिर अजीब सा मन कर देता है...
जिसे वो अपना समझ बैठा है वो किसी और की बात करता है..
वो लम्हा आशिक की दुखती-नस पर हाथ रखता है...
जब मेरा महबूब उसके महबूब की बात करता है।।।
Kisi k kahne p
✍ Kavish

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