Collab_4 anuja and Aatish
Collab Anuja_&_Aatish Kumar
वो ठहरा हुआ साहिल था, जिसमें बीता उसका कल था...
नम सी आंखें जिसकी, मुरझाया सा आंचल था...
आंखे एकटक निहारती, जो कल उसका छल था..
कुछ अल्फाज थे कहने, जिसे कहने का उसका मन था...
मन में थी अधूरी ख्वाहिशें, ख्वाहिशों का ही सीवन था...
सुनने वाला कोई नहीं, बेरंग उसका जीवन था...
किसी और जहां में, उसने जाने की ठानी है..
कौन समझाए उसे, ये दुनिया आनी जानी है...
✍ Anuja
जब वो चलेगा, कई क़ाफिर भी मिलेंगे रास्तों पर...
उधेड़बुन के थपेड़े खाये, कई मुसाफिर भी मिलेंगे रास्तों पर...
दरिया मिलेगा ख्वाहिशों का, फिर उनकी वो प्यास लायेगा...
फ़क़त वो ही होगा, भीड़ में खुद को तलाश लायेगा...
मुस्कानों के ताने-बाने में, सारे हसीं नजारे दमकेंगे..
रोम-रोम खिल उठेगा, उसकी आंखों में सितारे चमकेंगे..
अंजुरी में भर कर आसमां को, तारे अपने नाम कर लेगा..
अपने में, अपने साये में, वो सपनों के रंग भर लेगा...
✍ Aatish Kumar
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