Collab_8_Anuja_&_Aatish

Collab_Anuja_&_Aatish

तेरा आना ख्वाबों में,अंधेरों में सहर सा है...
उधेड़बुन से नजारों में,तू रातों की पहर सा है..
जितना दूर जाती हूं, करीब तेरे आती हूं...
वीरानियों में तुझे, गुलज़ार सा पाती हूं...
सूखे पत्ते हैं सारे, फिर भी रोशन सारे नजारे..
तू ही है हर खुशी, संभाल लेना सारी जिंदगी..
इश्क़ बेशुमार है, सूने गीतों में तू मल्हार सा है..
पतझड़ सी जिंदगी में,तू एक बहार सा है..
✍Anuja_mewara

मैं सहर हूं अगर तेरा, तो तू मेरी हसीं रात सी है..
तुझसे मुकम्मल मेरी मोहब्बत, तू ही अब हयात सी है...
महकते गुलज़ार के भीतर का, सवेरे खिलता गुलमोहर हो...
इश्क़ समंदर की सीप का, मुझसे मिलता गौहर हो...
मल्हार गीत के बाद की, तू पहली-पहली बरसात है...
जिसका रस में छलके इश्क़, वो ताजा- ताजा तू पात है..
सारे ख्वाहिशों के नजरानो की, तू कलमकार सी है..
जिंदगी के हर पहलू का, केवल तू ही इख़्तियार सी है...
✍Aatish_kumar

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