Collab_6_raj_&_aatish

Collab_Raj_monil_&_Aatish_kumar

धीरे धीरे साथ छूटने लगा है...
वो जो मेरा था वो अब मुझसे रूठने लगा है...
कैसे पीरोऊं अब इन अल्फ़ाज़ों को मोहब्बत के धागे में...
मेरे अंदर का शायर अब टूटने लगा हैं...
✍Raj Monil Shrivastav

अकेला अश्क मेरे दर्दों का बोझ सह जाता है...
स्याही तड़पती है, कागज कोरा रह जाता है...
मेरे भीतर का शायर ले गए बहलाकर..
मुझे बचा लो टूटने से, वो मुझसे ये कह जाता है...
कैसे चला जाता है कोई, फिर उसका नाम रह जाता है...
दिल की नाजुक जमीं पर, गहरे निशान छोड़ जाता है...
✍ Aatish_kumar

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