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Showing posts from May, 2017

कवि

तुम खुद को कवि कहते हो क्योंकि तुम में इतनी विनम्रता नहीं है कि तुम चुप रह सको_ खाइमे साबिनेस

Collab_10 Shivani and Aatish

Collab_Shivani_&_Aatish मैंने कुछ लोगो को लम्हों के सपने बुनते देखा है, और कुछ लोगो को उन लम्हों में जीते देखा है। जैसे कुछ सपने को बंद आँखों के भीतर ही देखा है, और कुछ को आसमान में तकते देखा है। ✍ ...

Womens day

नारी भी तो इंसान है,फिर क्यों कमजोर समझते हैं.. लैंगिक असमानता के सच से, सशक्तिकरण को झकझोरते हैं... आदमी चार आदमी से मिल ले, तो मिलनसार कहलाता है ... नारी अगर चार बात कर ले, चरित्र ख...

Collab bhavika and Aatish

तुम बिखरते चले गए... हम बिखरते चले गए... फिर मोहब्बत में वो मुकाम आया.. वक्त का अनसुलझा एक पैगाम आया... दूर जा रहे थे हम, ठहर न पाए.. हम ठहरते भी क्यों , ये वजह भी ना आए.. गलत रस्मों को होने प...

रकीब

वो लम्हा आशिक की दुखती-नस पर हाथ रखता है... जब मेरा महबूब उसके महबूब की बात करता है... वो रक़ीब की सारी बातें खुल के बोलने लगता है... यहां आशिक का खून जबरदस्त खोलने लगता है... वो रक़ीब ...

Collab_8_Anuja_&_Aatish

Collab_Anuja_&_Aatish तेरा आना ख्वाबों में,अंधेरों में सहर सा है... उधेड़बुन से नजारों में,तू रातों की पहर सा है.. जितना दूर जाती हूं, करीब तेरे आती हूं... वीरानियों में तुझे, गुलज़ार सा पाती हूं... स...

धरने पर है

पागल मरने पर है वो, काफी दिनों से.. क्या करने पर है वो, काफी दिनों से... चांद की रौनक उतर गयी है आजकल... लगता है धरने पर है, काफी दिनों से.. ✍ Aatish

Collab_7_Riya_&_Aatish

Collab_Riya_&_Aatish_kumar हर सुबह उठती हूं एक उम्मीद के साथ कि ये दिन गुजरे बस तेरे साथ... होंगे हाथों में हाथ और होगी फिर तुझसे बात... पर ये ख्वाब होता नही पूरा.. हर रोज रह जाता है अधूरा... फिर भी मेरा मन ख...

Collab_6_raj_&_aatish

Collab_Raj_monil_&_Aatish_kumar धीरे धीरे साथ छूटने लगा है... वो जो मेरा था वो अब मुझसे रूठने लगा है... कैसे पीरोऊं अब इन अल्फ़ाज़ों को मोहब्बत के धागे में... मेरे अंदर का शायर अब टूटने लगा हैं... ✍Raj Monil Shrivastav अकेला अश्क ...

Collab_aatish_&_himanshu

Collab_Aatish_&_Him-ansh कैसा लगता है जब,दिल में कोई गम बैठ जाता है... बिन बोले भीतर कचोटता,उजाले में तम पसर जाता है... नब्जों में बहता रक्त,ठंडा होने लग जाता है... बुरे ख्यालातों की आंधी में,कोई विचार ...

Dekhe jara

कितना गहरा है पानी, हम भी देखें जरा... कितना बहरा है वो, हम भी देखें जरा.. हम ठहर गये ,तुम्हारे कहने पर.. कितना ठहरता है कोई, हम भी देखें जरा... Feelings dear feelings Kavish

शोर है

दूर हो तुम , अहसास काफी पुरज़ोर है.. मेरा मुझसे ही ,घमासान घनघोर है... वीरान सन्नाटो में पड़ी है ,याद किसी की... पर इन दफन यादों में, अब भी बड़ा शोर है... ✍ Kavish (aatish)

Collab_4 anuja and Aatish

Collab Anuja_&_Aatish Kumar वो ठहरा हुआ साहिल था, जिसमें बीता उसका कल था... नम सी आंखें जिसकी, मुरझाया सा आंचल था... आंखे एकटक निहारती, जो कल उसका छल था.. कुछ अल्फाज थे कहने, जिसे कहने का उसका मन था... मन में थी ...

Collab riya & aatish

Collab Riya_garg_&_Aatish_kumar Tumahre jaane ka asar,kuch iss kadar hua mujh par... Tumhe dhoondhte-dhoondhte ,maine khud Ko paa liya... Khud Ko jo hai paaya maine,to Jaana ki Rom-Rom me hi tumko samaa liya... Koi baat karni chahu,to wo baat hoti hai tumhari... Jise yaad karna chahu,to wo yaad hoti hai tumhari... Tum hi se hai zindagi,tum hi se maut hai.. Tumko paaya nahi fir bhi,tumhe khone ka khoff hai... Ek aarzoo hai meri, Ki main ho jau tumhari... Par ye khwaab poora ho, Aisi razaa nahi tumhari.. Tum chaho jisko,wo mil jaaye tumko.. Jo maine sahaa, uss dard ka ahsaas na ho tumko... Aakhir mohbbat ki hai, nafrat nhi... Jisme badle ki chah ho... Hai jaha bhi jau,bus tum hi meri Manzil... Aur tum hi meri raah ho... Bus itni si tamnna hai meri, Aur kaash yahi hoti tumhari.. ✍Riya_garg Jo tamnna hai tumhari,wo nahi rahegi ab adhoori... Paas tumahre aakar ke, ho jayegi Manzil bhi poori.. Mein ab khud Ko bhool kar,tumko paa lunga... Dil ke khali sarayo ...

Maa

मां जब हमने जन्म लिया,तो तुमने हाथ थामा था... तुम थे हमेशा साथ मेरे, इसलिए साथ सारा जमाना था... उंगली पकड़ी चलना सिखाया, जहां गिरे वहां तुमने उठाया... तुमने ही आंसू पोंछे, जब रोते​ ह...

Collab_2_gopika_&_aatish

Tumhari har pal meri fikar karna, Mera din poora kar deta tha... Har pal mere kaano me, Pyaari baate kahta tha... Lekin aaj jab bhi, Me kuch na bolti hu... Aaj jab bhi me, Unn panno ko kholti hu... Saari khwahishe dafan ho jaati hai... Uss pal meri aankhe nam ho jaati hai... ✍Gopika Joshi Har pal Preet ka, rom rom me bhar dunga me... Tumhari fir fikar krke, din fir se poora kar dunga me... Pyaari baate such me,tumse hi kahh jaunga... Hontho ki muskaan ke badle,saare gum le jaunga... Panno ko khologi fir tum, sunhara pal me bann jaunga... Alfaazo ko bahla kar, kaano tak le jaunga... Tum me shamil ho karke, khawahish poori kar dunga me.... Aankho ke namm sitaro me, chamkile rang bhar dunga me.. ✍ Aatish Kumar

Collab_1

Kabhi chaha tha hume bhi siddat se tumne... Yahi soch kar me jee leti hun... Afsaane to hum bhi bana sakte hain bahut.. Iss dil se kya kahun ye soch leti hun... Ek waqt tha jab deewano se marte the... aur saayad aage bhi maroge... Apna tanhaai me dekhna ek din... Tum ek din mujhe yaad kroge... Me chahti to deti jawaab saari baaton ka... Par tum sunoge nahi ye baat soch leti hun... ✍_Anjali_scribed Tumhe lagta hoga tumhari aankho ka ,noor jaa raha hai... Ye thode imtihaan ka waqt hai,warna kaun door jaa raha hai... Tanhaai ki to baat kya hai,me tumko hamesha yaad karunga... Jaldd lauta de purani yaari,khuda se fariyaad krunga... Jo tum deti jawaab to me sun bhi leta... Tukde tukde beenkar saare, thode moti chun bhi leta... Sar par tumhari fikar ka,me wo bojh leta hu... Tumko bura na lage, isiliye door Jane ki baat soch leta hu.. ✍ Aatish_kumar

दरियो से हो कर

अपने आप में खुश हैं हम, खुशियों के बीज बो कर के... मिलते नही है मुसाफिर, इन शहरों में खो कर के... कुछ लोग खड़ी कर देते हैं दीवारें, दो जुड़े हुए दिलवालों में.. कुछ लोग निकाल देते हैं रस...

तुम्हारी है

छत पर बिखरी पड़ी है चांदनी, क्या बरसात तुम्हारी है... चांदनी आज तुमसे है, ये खूबसूरत रात तुम्हारी है.. जो तुम इतने हसीन से हो, कितने राज गढे है तुममें... इस नटखट तासीर में, चंचल हर बा...

Tum

काले लिबास में हो, लगता है कोई हूर हो तुम... ख्याल रखते हो खुद का, खाने में मशहूर हो तुम... सोने जैसी पाकीज़गी है, सोना तुमको भाता है... बेबाक, बेफिक्र, बिंदास, चुलबुलेपन में मशगूल हो त...

मां

मां ही जन्मदात्री,जीवन की पहली झंकार है.. मां ही जीवन है, मां में सिमटा सारा संसार है.. पहले प्रेम की पहली मूरत,नि:स्वार्थ प्रेम की संदर्भ है... पालन करता खुद में ही, मां का अखंड गर्...

याद करता हूं

मेरे दिल के फरिश्ते पर, आज भी ऐतबार करता हूं... मैं नही हूं तुम्हारे जेहन में, इस बात से ऐतराज करता हूं.. तुम्हारे लबों पर मुस्कान रहे, रोशन तुमसे जहां रहे... खुदा से बस तुम्हारे लिए...

Sorry'

सारे बिखरे अल्फाजों की, गिरह खोल देता हूं... गुस्से में पता नहीं, क्या-क्या बोल देता हूं.. पर सच बताऊं तो अब भी, मैं तुमको सच्चा दोस्त कहता हूं.. दोस्ती की छांव में क्यूंकि, मैं चैन ...

जिक्र कर लेता हूं

खुद से करता हूं बात जब, खुद से तेरा ज़िक्र कर लेता हूँ... बस इसी तरह बात - बात में, तेरी थोङी फिक्र कर लेता हूँ... तू भी तो 'याद' के पौधे को, 'याद' से जल देती होगी... बस इसी तरह यादों की हल्दी क...

पहरे हैं

वो अनपढ़ है बच्चे, फिर भी खिलखिलाते चेहरे हैं.. बचपन अध्ययनशील नही, सच में घाव गहरे हैं... दो जून खाने के पीछे, मिट जाती शिक्षा की रेखा.. प्रताड़ना के चाबुक के, इन पर भारी पहरे हैं.. Kavish

खाली हो गए

उनके हाथ में पत्थर थे.. इरादे भी बद से बदतर थे... थोड़े कानून के कागज भरवाने थे... हाथों से पत्थर खाली करवाने थे... बेगुनाह ने जीने की ओर पैर संभाले.. फिर उन लोगो ने उसको पत्थर मारे.. आख...

आपके लिए

प्रीत में डूबी बातों को, प्रेम रीत से कहती हो... अहसासो का गुलिस्तां है, जहां तुम मुझमें रहती हो... दरख्तों के साये में, तुम अपना साया बिछाती हो.. मैं हाथ थामे बैठता, तुम अपना गाया फ...