Vasant aaya hai- वसंत आया है..
वसुधा को शस्य-श्यामला करने वाला, फरमान आया है ...
हरियाली के रथ पर सवार होकर,दिव्य मेहमान आया है...
भंवरें, तितलियां कर रहीं मकरंद का रसास्वादन...
गुलाब, गेंदा, सूरजमुखी की शोखियों, का अभिवादन ...
जिसकी गरमाहट से , टेसू के फूलों का सर्जन है ...
रजाई, चद्दर, गर्म कपड़ो का, मानव तन से विसर्जन है ..
सुगंध सुखद सृष्टि का, वो दृष्टांत आया है ...
ऋतुराज कहा गया है जिसे , वो 'वसंत' आया है ...
कामदेव का सुत है जो , प्रेम का जो वरदान...
ग्रामीण धरा पर पीत पुष्प, और सरसों का निर्माण...
सृष्टि अब नया चोला ओढ़े, मलिन चोला जल के साथ बहाया है..
नवजीवन की इस यात्रा को, कान्हा ने 'ऋतुनां कुसुमाकर:' कहा है..
आमों की मिठास लाया, मधुर इस धरा की काया है..
संग लाया है रंग होली के , कोयल ने गान मधुर सुनाया है...
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