हिसाब लिखूं

सुर्ख गुलाबी गालों को, काली जुल्फों से सहलाने की बात लिखूं...
या जुल्फों को कानों से संभालने की बात भी साथ लिखूं...
भीगे लब जो होते हैं तुम्हारे होठों से , उनसे छलकने वाला आब लिखूं..
या हुस्न को देखकर मदहोश होने वाले, आशिकों का हिसाब लिखूं..

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