अनजानों की तरह

रात जवां हो चली थी , मेरे अरमानो की तरह...
मैं भी एकटक देख रहा था दीवानों की तरह...
पर पता नहीं किस मनहूस घड़ी ने ,मुझसे बदला ले लिया...
कि तुम उठ कर चले गए महफिल से, अनजानों की तरह...
_vish

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