सिंदूर उतर जाता है

कोई किसी की किताब है, कोई उसका कातिब बन जाता है...
यूं ही नहीं उजाड़ धरती पर, ताजमहल बन जाता है...
दो पल बात करके चार पल नाराज, विरह का जो अर्थ न जाने...
सैनिक की संगिनी की व्यथा सुनो जाकर...
हाथ में सिंदूर के कतरे होते हैं, सिंदूर सजने से पहले उतर जाता है..
-कविश कुमार

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