कैसा लगता है
कैसा लगता है जब, दिल में कोई गम बैठ जाता है...
बिन बोले भीतर कचोटता , उजाले में तम पसर जाता है...
नब्जो में बहता रक्त , ठंडा होने लग जाता है...
बुरे ख्यालातों की आंधी में, कोई विचार झकझोर जाता है..
कैसा लगता है जब दिल में, कोई गम बैठ जाता है...
कैसा लगता है जब हंसाने वाला, खुद रोने बैठ जाता है...
कैसा लगता है जीभ से , शब्द निकले नही बिलखने लगे बस..
कैसा लगता है जब, हर कोई दुश्मन लगने लग जाता है ...
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