नजरों से बचने के लिए
आंसू सूखकर राख बन गए, गोरी हथेली पर मलने के लिए...
वो सांसे भी ठंडी हो गई, मेरी सांसों में जमने के लिए...
इस मौहल्ले के हर आदमी ने दुश्मनी निभाई, वो क्या कम थी..
जो तुम भी इमारत ऊंची करवा रहे हो, मेरी नजरों से बचने के लिए...
आंसू सूखकर राख बन गए, गोरी हथेली पर मलने के लिए...
वो सांसे भी ठंडी हो गई, मेरी सांसों में जमने के लिए...
इस मौहल्ले के हर आदमी ने दुश्मनी निभाई, वो क्या कम थी..
जो तुम भी इमारत ऊंची करवा रहे हो, मेरी नजरों से बचने के लिए...
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