अंधेर बीजों के बीच में

कहीं से खबर आई महबूब की , बैठा था जब यारो के बीच में ....
मैं भी देखने चला आया चहेती को , इतने लोगो के बीच में...
उसके लिबास के जैसी थी , अंधेरे वाली वो स्याही भी...
वो कृष्णपक्षी चांद चमक रहा था, अंधेर बीजों के बीच में

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