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Showing posts from February, 2017

हाल जानना चाहते हैं

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खुद के हाव-भाव चुप है, मेरा गान जानना चाहते हैं... कुछ नियम बना दिए है, उनकी अवमानना चाहते हैं... लोग कितनी फिक्र करते हैं, एक दूसरे की है ना.. खुद इश्क़ के थपेड़ों के मरीज है, और हमारे ...

सुविचार २

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सुविचार

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कहने की कोई बात नहीं है

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लाश बिछ जानी थी

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बुद्धिमानों के सूरज को भी ढलते देखा है ... कुछ बेईमानी के कीड़ों को भी मैंने पलते देखा है ... धिक्कार करता हूं उन लोगों पर मैं ... जिन के दिलों में मैनें संस्कारों को जलते देखा है... आव...

महबूब नही होता

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Chand

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WO TAJ BHI MUJHSE JALTA BADA THA... USKA HAR PATTHAR JO BADE PYAAR SE GADA THA ... WO CHANKNE LAGA JESE CHANDNI RAAT HO... JAB MERA CHAND USKE SAAMNE KHADA THA....

Perfect for me

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IF I AM A TASK , SHE IS AN ACT FOR ME... IF I AM A THEORY , SHE IS A FACT FOR ME ... I WANT TO SPEND WHOLE LIFE WITH HER .... BECAUSE SHE IS THE ONE , WHO IS PERFECT FOR ME... - KAVISH

देख लो

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हर एक बात तुम्हारी हैं मुझमें,  और एक दो छुपा कर देख लो... नायाब होंगे तराने , तराने सजा कर देख लो ... यह दिल भी बस तुम्हारा नाम पुकारता है , चाहे तो तुम एक बार गले लगा कर देख लो।। कविश क...

हिसाब लिखूं

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सुर्ख गुलाबी गालों को, काली जुल्फों से सहलाने की बात लिखूं... या जुल्फों को कानों से संभालने की बात भी साथ लिखूं... भीगे लब जो होते हैं तुम्हारे होठों से , उनसे छलकने वाला आब लिखू...

सिंदूर उतर जाता है

कोई किसी की किताब है, कोई उसका कातिब बन जाता है... यूं ही नहीं उजाड़ धरती पर, ताजमहल बन जाता है... दो पल बात करके चार पल नाराज, विरह का जो अर्थ न जाने... सैनिक की संगिनी की व्यथा सुनो जाक...

इश्क़ में जल्दबाजी होगी

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मेरी मोहब्बत की पतवार की , वो नई अब मांझी होगी... एक नये आशिक की मेहमान नवाजी होगी.. इकरार से इजहार तक का सफर तय कर चुके दो मुसाफिर.. इंतजार और सबर की छांव में, कुछ भी कहना जल्दबाजी ह...

याद सताती है

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जब भी रात को नींद नहीं आती है ... यह कलम अपने आप चलती जाती है ... यह स्याही भी तुमको याद करती है ... शायद इसे भी तुम्हारी याद सताती है....

काफी दिनों से

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नींद टिक नहीं रही है तकिए पर काफी दिनों से ... नींद की गोलियां भी खत्म हो गई है दुकान पर काफी दिनों से ... एक सुकून भरी नींद की तलाश है सारे तुम्हारे ख़्वाब लेकर.... दीद की हसरत भी है मे...

तलवार बन जाएगी

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तुम प्यार से पेश आओगे , तो ये भी प्यार बन जाएगी ... संगीत स्नेही के सुरों का तार बन जाएगी... ये कलम आखिर मेरी है मेरी ... खुलेआम अगर ललकारा , तो ये तलवार बन जाएगी...

अनजानों की तरह

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रात जवां हो चली थी , मेरे अरमानो की तरह... मैं भी एकटक देख रहा था दीवानों की तरह... पर पता नहीं किस मनहूस घड़ी ने ,मुझसे बदला ले लिया... कि तुम उठ कर चले गए महफिल से, अनजानों की तरह... _vish

अंधेर बीजों के बीच में

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कहीं से खबर आई महबूब की , बैठा था जब यारो के बीच में .... मैं भी देखने चला आया चहेती को , इतने लोगो के बीच में... उसके लिबास के जैसी थी , अंधेरे वाली वो स्याही भी... वो कृष्णपक्षी चांद चमक र...

सोना नहीं चाहता

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कई बातें दबी है तहखाने में , जिनको मैं कहना नहीं चाहता... बिना बात करे भी उनसे पूरे दिन, रहना नहीं चाहता... वो सोचती हैं कि मुझे नींद नहीं आती, उनके प्यार में.. लेकिन शख्सियत तो यह है , ...

उल्फत वाली दवा

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गुनाह तुम करो बस, सारे गुनहगार मौजूद है मेरे पास... तुम नफरतों को पनाह दो बस, सारी वफा है मेरे पास.. कुछ उदासियों का बुखार चढ़ा है तुमको , अकारण तो नही है... पर बता दूं तुमको, उल्फत रूप...

पराया समझा जा रहा है

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वो खानाबदोश बिखरे दिलों का, एक कुनबा जा रहा है... रास्ता देखो टूटे हुए दिलों पर, उलझा सा चला जा रहा है... वो रोये पर कारण नही बताया, सिसकते हुए होंठों से... या तो प्यार है हमसे ज्यादा, य...

कुछ तो हुआ है

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आंखें पलक तक नही झपका रही है आज... पलक भी भीगकर मुरझा रही है आज... किसी डर ने छुआ है लगता है... कुछ तो हुआ है लगता है... जबान मूक होकर कुछ छिपा रही है आज... लोगो के सामने पूरी वफादारी दिखा रह...

कैसा लगता है

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कैसा लगता है जब, दिल में कोई गम बैठ जाता है... बिन बोले भीतर कचोटता , उजाले में तम पसर जाता है... नब्जो में बहता रक्त , ठंडा होने लग जाता है... बुरे ख्यालातों की आंधी में, कोई विचार झकझोर ...

हर हर महादेव

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कैलाश पर्वत में वास जिनका, महादेव है नाम जिनका.. महिमा बड़ी निराली है, लय-प्रलय दोनों की कहानी है । त्रिशूल, डमरू तथा नाग के धारक, रुद्र रूप तथा देव संहारक... शक्ति जिनकी पार्वंत...

नजरों से बचने के लिए

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आंसू सूखकर राख बन गए, गोरी हथेली पर मलने के लिए... वो सांसे भी ठंडी हो गई, मेरी सांसों में जमने के लिए... इस मौहल्ले के हर आदमी ने दुश्मनी निभाई, वो क्या कम थी.. जो तुम भी इमारत ऊंची करव...

व्यस्त कर ले खुद को

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ये बिखरे अहसास पल दो पल, गिरफ्त में कर ले इनको... बहुत आजाद थे तो बिगड़ गए, अब थोड़ा दुरुस्त कर ले इनको.. वो थोड़ा समय निकाल नही सकते, फिर भी वही ख्वाहिश है... मिलना-मिलाने के ताने-बान...

शोर में फिर

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तू दमकता तसव्वुर, कैसे देखूं भोर में फिर... सयाने दिल वाला तू इश्क़, कैसे समझू इस दौर में फिर... यहां तलाशते हैं लोग,दो जुड़े हुए दिलवालों को... नजाकत भरी तेरी आवाज़, कैसे पहचानूं इस...
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GULABI NAZAR AA RAHE HAI- गुलाबी नजर आ रहे हैं वो चांदनी वाले चांद भी , हमें महकते नजर आ रहे हैं... दुनिया वालों को हम तुम्हारे प्यार में बहकते नजर आ रहे हैं... मैंने खुद पूछा गुलाबों से, तुमसे नाराजगी की वजह.... बोले वो हमसे कि हमसे ज्यादा तो इनके गाल गुलाबी नजर आ रहे हैं... 😊 कविश कुमार 😊
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DEKH LO _  देख लो हर एक बात तुम्हारी हैं मुझमें, और एक दो छुपा कर देख लो... नायाब होंगे तराने , तराने सजा कर देख लो ... यह दिल भी बस तुम्हारा नाम पुकारता है ,  चाहे तो तुम एक बार गले लगा कर देख लो।। 😊कविश कुमार😊
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TUM HO - तुम हो -(11/2/2017) आशिकी के इस मंजर में, न जाने कहां गुम हो.... शोर मचा है मोहब्बत का, और तुम हो कि गुमसुम हो... वो 'चोकलेट' की मिठास से क्या होगा मेरी प्रिय... उससे ज्यादा मीठे दिलवाले तो एक तुम हो... 😊KAVISH अटैचमेंट क्षेत्र

पहली कविता

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उस दिन कोरे कागज पर बिखरी ,  वो खूबसूरत सुनहरी स्याही थी...  वो दिन आज भी याद है , जब चांदनी भी कागज पर उतर आयी थी...  शायद वो दिन न भूल पाउंगा मैं ,  क्यूंकि इसी दिन तो ' सुरांगना '  दुनिया में आई थी... नवजात , चंचल , मासूम अबूझ सी , गोद में बैठाने खुद हिन्दी माँ आई थी... दुलार करती उसे ,  फिर लोहरी सुनाती ,  खुशी से आंखे भी मेरी तब भर आई थी.. कलम ने भी लिखे थे कई निमंत्रण ,  सबको जो ये खुशी भिजवायी थी.. वो कोई ' शिशु '  नही नन्ही कविता थी मेरी , जो पहली बार पन्नों पर उतर आई थी... पीछे चल रहे थे कई रिक्त पन्नें , आगे पर मेरी ' कविता ' की अगुवाई थी... 😊कविश कुमार

शाम तो होने दो

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महताब इठलायेगा यौवन पर , जवां थोड़ी शाम तो होने दो... प्रेम ग्रंथ के भी पर लगेंगे , पन्ने पर तुम्हारा नाम तो होने दो... फिर वो महताब फलक से, तुम्हारे पास जो उतरता है.. पास बैठ कर नदी किनारे, तुम्हारे साथ जो संवरता है... वो अपनी से ज्यादा, तुम्हारी खूबसूरती पर बहकता है.. तो मन मेरा खूबसूरत कौन है, ये सवाल पूछ बैठता है.. जवाब दूंगा खुद को, एक व्यतिरेक अलंकार के साथ... महताब तथा तुम्हे निहारते, एक रात बर्बाद तो होने दो.. हम भी चलें जाते हैं, शमा की अब लौ से कुछ बात होने दो.. 😊 कविश कुमार 😊
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Vasant aaya hai- वसंत आया है. .  वसुधा को शस्य-श्यामला करने वाला, फरमान आया है ... हरियाली के रथ पर सवार होकर,दिव्य मेहमान आया है... भंवरें, तितलियां कर रहीं मकरंद का रसास्वादन ... गुलाब, गेंदा, सूरजमुखी की शोखियों, का अभिवादन ... जिसकी गरमाहट से , टेसू के फूलों का सर्जन है ... रजाई, चद्दर, गर्म कपड़ो का, मानव तन से विसर्जन है .. सुगंध सुखद सृष्टि का, वो दृष्टांत आया है ... ऋतुराज कहा गया है जिसे , वो ' वसंत ' आया है ... कामदेव का सुत है जो , प्रेम का जो वरदान ... ग्रामीण धरा पर पीत पुष्प, और सरसों का निर्माण ... सृष्टि अब नया चोला ओढ़े, मलिन चोला जल के साथ बहाया  है.. नवजीवन की इस यात्रा को, कान्हा ने 'ऋतुनां कुसुमाकर:' कहा है.. आमों की मिठास लाया, मधुर इस धरा की काया है.. संग लाया है रंग होली के , कोयल ने गान मधुर सुनाया है... 😊 कविश कुमार 😊

कविता है वो

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Meri 'kavita' hai wo -  मेरी 'कविता' है वो..   मैं तो सिर्फ चलता हूँ ,  उङती है वो...  शुरू करता हूँ जब लिखना , तो संवरती है वो.. लिखता हूँ जब मैं ,  तो मुझे देखती है वो..  मैं जब रूक जाता हूँ ,  तो रूकती है वो.. मैं साधु हूँ अगर , तो मेरी साधना है वो...  मैं उलझन हूँ अगर ,  तो मेरी सुलझन है वो... मैं प्यास हूँ अगर ,  तो पानी है वो..  मैं विश्वास हूँ अगर , तो कहानी है वो... मैं वाद्य हूँ अगर ,  तो झंकार है वो...  कोई पंक्ति हूँ मैं , तो अलंकार है वो..  मैं बच्चा हूँ अगर ,  तो दुलार है वो.. मैं शांत हूँ अगर , तो आत्मा की पुकार है वो.. चाहे मुझे कोई ज्ञान नहीं है..  क्या हूँ मैं ये भान नहीं है..  फिर भी मुझे जानती है वो..  पन्नों में से भी झांककर पहचानती है वो..  मैं जो ये इंसान हूँ ,  मेरी विनम्रता है वो..  न विद्वान न प्रखर कवि ,  फिर भी मेरी ' कविता ' है वो..  😊 कविश  कुमार😊