मेरे बारे में

स्याही की है नदियां, कागज की है जमीने...
जज्बात डुबोकर नदी में, लिखता हूं धीमे-धीमे...
रियासत में मैं हूं सिर्फ, शब्दों की है मिल्कियत मेरी...
अल्फाजों से जान-पहचान है, यही है शख्सियत मेरी..
✍ Kavish

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