दीद के लिए

मशिय्यत उठी है खुश करने को, किसी करीब के लिए...
नजरों की तलाश जारी है अंधेरों में, एक नींद के लिए..
हाथ-पांव पटक पटक के जमीन पर, छाले पाल लिए हैं..
तिश्नगी उतरी है आंखों में, बस एक तुम्हारी दीद के लिए ..
✍ Kavish

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