उबाल नही है

इनको अपनी करनी का, कोई मलाल नही है..
आंसू सबके बहते है, पर कोई रुमाल नही है..
ये इंसानियत को सरेआम, आग लगा देते हैं..
क्या हुआ जिंदा लाशो , क्या खून में  अब उबाल नही है...
(तमाशबीन लोग , इंसानियत के हत्यारे)
✍🏻 Kavish

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