Collab_Aatish_&_Satiksha

कल तो सोचा भूल जाऊंगा,आज इख़्तियार करने लगा..
वो इश्क़ का मुतंजिर , आज इंतजार करने लगा..
पता है चाहकर भी पा नही सकता उस माधुर्य किताब को..
वो फिर से मोहित हुआ, फिर से प्यार करने लगा..
Aatish

किसी को यूं ही भूल जाना भी इतना आसान नही साहब..
इश्क़ का तो दूजा नाम ही इंतजार है..
गर पाना मुमकिन नही,तो फ़क़त पढ़ ही लो इस किताब को..
क्योंकि उसे पाना नही, बस अल्फाजों को पनाहो में लेना ही प्यार है..
✍Satiksha

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