Anju on papa

मैं हूं एक नन्हीं परी, ये अहसास तो ना था..
मगर पापा की गोद में रहकर, यकीन हो गया..
मेरा बचपन भी अजीब आंख-मिचौली था..
कभी कोरा था एकदम तो कभी हंसी खुशी की रंगोली था..
पापा रहते सरहद पर और सपने सारे हमें दे गये..
जो अनकहे थे अहसास वो सारे मुझसे ही कह गये..
उनकी आंखों में एक जुगनू सा रहता है,
जैसे जुगनू उनको अपनी चमक दे गया..
जीवन है एक पहेली ये मालूम था,
मगर जीने का सलीका हमें कहां आ गया..

तेरे कदमों में एक दुनिया बसती है मां..
तू भी तो पापा को दुनिया कहती है मां..
लेकिन पापा के चेहरे की हंसी, वो सुकून देती है..
मुझे और​ मेरे सपनों को नूतन जुनून देती है..
पापा का मुझे बेटा कहना मुझे एक नया मुकाम देता है..
मेरी सपनों में भी मेरे पापा का सुनहरा जहान रहता है..
हर रोम रोम मेरा बस यही बातें बतियाता है खुदा से,
कि पूरा हो पापा का हर सपना,
जो उनकी आंखों में चमक दे गया..

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