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Showing posts from April, 2017

ऐतबार

मन में हो, ऐतबार करना .. मन ना हो, ऐतराज करना. .

फिराक नही चाहते

सुनना सच है सच में, कोई बेहुदा मजाक नही चाहते... मुझे कुछ भी कह ले पर, एक शब्द तुम्हारे खिलाफ नही चाहते... हम तुम्हारे जेहन में है भी या नही, न मालूम है... तुम्हारा मेरे जेहन में रहने स...

फिरदौस हो जाते हैं

नजरों से नजरों के फेर में, नजारे सारे मदहोश हो जाते हैं.. तुम साथ होते हो तो, रास्ते सारे फिरदौस हो जाते हैं... Kavish

दिखाये

तैयार हूं मैं तो ,कोई आकर सिखाये तो सही.. लिख दिया है अब तो, कोई मिटाकर दिखाये तो सही.. Kavish

मना लेना

बेरंग पन्नों को स्पर्श से, तुम रंगीन बना लेना... रंगो के श्रंगार से, थोड़ा खुद को भी सजा लेना... तुम रूठ गये कभी, तो मैं तुमको मना लूंगा.. मैं रूठ जाऊं अगर, तो तुम मुझको मना लेना... बेशर्...

गुजर जाता है

शिकन लाने वाला भाव, मन से उतर जाता है... मन में बैठा मरीज मुसाफिर, मन में ही सुधर जाता है.. बड़ा हसीन लम्हा होता है, जब वो सामने हो... पर देखते ही देखते, हसीन लम्हा गुजर जाता है.. ✍🏻 Kavish

समय निकालो जरा

मेरे लिए, समय निकालो जरा.. मेरे साथ, समय निकालो जरा... Kavish

तुम्हारा है

शब्दों के अस्तित्व पर, अब भी हक तुम्हारा है... पाला पोषा मैंने हो, इनमें पर नमक तुम्हारा है... गहराई में कहते बातें, ये श्रेय सिर्फ इन्ही को नही... तुम्हारे ख्वाबों का स्वाद है, श्रे...

कांच के टुकड़े

दर्द की सिसकियों तले, जो मुश्किलों से उखड़े​ थे.. विरह राग तेरे जज्बातों का, सारे गम के मुखड़े थे... जहां-जहां छलनी किया , तलवों की नाजुक जगह को.  दर्द बिखर गया खून के साथ, पांवों मे...

कस सके

अभी ही कह लो, हम भी रश्क का जायका चख सके... नही कहोगे ताकि, मौके पर फब्तियां कस सके... kavish

टुकड़े थे

दर्द की सिसकियों तले, जो मुश्किलों से उखड़े​ थे.. विरह राग तेरे जज्बातों का, सारे गम के मुखड़े थे... जहां-जहां छलनी किया , तलवों की नाजुक जगह को.  दर्द बिखर गया खून के साथ, पांवों मे...

जानी-मानी​है

तेरे अहसास, तेरी बातों को, अभी से कहां रवानी है.. मरक़ज तू है अब भी, इर्द-गिर्द घूमती कहानी है... सोच तू भी , रिहाई​ आज भी नही हुई  तुझसे... मेरी जगह खुद को रख, तेरी सूरत सच में जानी-मानी ह...

अपने पर ले लेते हो

तुम ना जाने अनजाने में, क्या-क्या कह लेते हो.. मैं लिखूं कुछ भी , तुम अपने पर  क्यूं ले लेते हो... -Kavish

जज्बात बसे हैं

उस खत लिखने वाली पर, कितनो ने ताने कसे हैं.. सूख चुकी है स्याही पन्नों पर, फिर भी जज्बात बसे हैं.. ✌✍ Kavish

किताबों में है

ना जाने कितने रहस्य, हिजाबो में हैं. जो बेहिजाब और बेमिसाल है, वो सब किताबों में है... -Kavish

गलत

गलत ने इतना चिल्ला चिल्लाकर , सही का हौसला तोड़ दिया... सही ने भी खुद को उसी गलत के रास्ते पर  मोड़ लिया.. -Kavish

तीरगी

तीरगी में डूब गये सब, शमा जलाए कौन आखिर.. कोई जला भी दे अगर, बुझाने वाले को भगाए कौन आखिर.. ✍ Kavish

Earth day

हां आज अर्थ डे है, आज मेरा बर्थडे है.. मैं पृथ्वी हूं, मेरा शरीर गोल है ... मुझमें जीवन है, अद्भुत बड़ा मेरा भूगोल है... मृत जीवित सभी जीव, हां मुझमें ही रहते हैं.. ये हरियाली , ये खुशहाल...

दिखावा ज्यादा होता है

वजीर से भी ज्यादा मोल का ,जब प्यादा होता है.. सच भी बेचारा अकेला होकर, जब आधा होता है.. लोग छिपाये जाते है, दिल में हर एक सच को.. सच किसी को बताते नही आखिर,  दिखावा  ज्यादा होता है.... ✍🏻 Kavis...

कितने अदबनव़ाज है

पर काट दिए जिस पंछी के, भरने को फिर भी परवाज है.. कैसे लिखकर बताता हूं जज्बात, अब भी सारे राज है.. दिल से उड़ती भावनाएं , पन्नों पर जाकर ठहर जाती है.. देखने की नजर चाहिए, न जाने कितने अ...

मुकाबिल हो जरा

एक बार फिर से, महफिल में शामिल हो जरा... कोई नही है यहां, पर तू थोड़ा आदि ल हो जरा. .. एक बार फिर से, मुझे कुछ शब्द उधार चाहिए ... ख्वाब से बाहर आ, अब मुझसे मुकाबिल हो जरा... ✍ Kavish

उबाल नही है

इनको अपनी करनी का, कोई मलाल नही है.. आंसू सबके बहते है, पर कोई रुमाल नही है.. ये इंसानियत को सरेआम, आग लगा देते हैं.. क्या हुआ जिंदा लाशो , क्या खून में  अब उबाल नही है... (तमाशबीन लोग , इं...

खानाबदोश हो गये

उन समझदार लोगों के, ऐसे होश खो गये.. अरमान सारे कच्ची नींव के, सारे बेहोश हो गये.. खुद के घर को आग लगा, गैरो के महल में चले तो गये.. वहां उन्होंने बेदखल किया, यहां ये खानाबदोश हो गये.. ✍ ...

जल जाता है

वो दरवाजे के नीचे से, कड़वे हर्फ बहाता है.. हर एक गुजरता मुसाफिर, तमाशा देखने ठहर जाता है.. वो अकेला बैठकर गम मनाये, तो अकेला रह जाता है... थोड़ी खुशी क्या मना ले, जल पूरा शहर जाता है.. ...

मत करो

पेट में जहर उबलता है, मुंह पर राम-राम तो मत करो.. बड़ी मुश्किलों से सहेजी इज्जत को, यूं सरेआम तार-तार तो मत करो... एक बार मन में ही, खुद को रखो उस जगह पर ही... सम्मान नही कर सकते, तो कम से क...

फ़ाश न कर

वक्ता हो ना तुम, यूं फिर मौनी उपवास न कर... जाने बिना किसी को, यूं नजरों में खास न कर... माना कि तुम भी लगा बैठे हो दिल किसी से आखिरकार.. इशारो की आराधना को,सबके सामने यूं अब फ़ाश न कर.. ✍ Kavi...

बुखार तो नही

आजकल बात तुमसे होती नही, कहीं दिल में कोई गुबार तो नही... बेरुखी उतर आयी है दामन में, कहीं कोई खुमार तो नही... क्या बात है आखिर, दिखते भी नही हो अब तो.. हम आये क्या तुम्हारे पास, कहीं चा...

जताते क्यूं हो

साफ साफ कहो आखिर बातें छिपाते क्यूं हो.. हंसी को कैद करके, आखिर हमको सताते क्यूं हो.. कहना-सुनना, महकना-दहकना सब है तुम्हारे भीतर... प्रीत है तो जाहिर करो, यूं झूठे ही प्यार जताते क...

पाकीजगी है

तिलमिलाहट की धूप को, अब बारिश की तिश्नगी है... बूंद रिस-रिस कर उतरती कंठ से, जल से ही पाकीजगी है... ✍ Kavish

लिखा ही नही

बड़ी कोशिश की तुमको तलाशने की, तुम सा कोई दिखा ही नही.. पन्ने पन्ने का मोल बहुत था, एक भी इसलिए बिका भी नही.. बड़ा अच्छा लगता है मुझको, कि तुमने मुझ पर लिखा है.. तुम कहते हो मान लिया, क...

आफताब नही है

बह रहा है पानी, पर इसका कोई अश्फाक नही है.. बह रही है सोच, ये कोई इत्तेफाक नही है.. ये नेह नजारे, जिनमें तुम भी हो शामिल.. उजाला दफन है, आसमां में आफताब नही है.. ✍ Aatish (Kavish)

इश्क़ घरौंदे

समझने के लिए पढ़ा ये बातें भी, वो आयत भी... ना समझ सके पर ये किताबें भी, वो इबारत भी.. एक करवट ली ,अश्कों के समंदर ने अचानक.. सब बह गया इश्क़ के घरौंदे भी, नफरतों की इमारतें भी.. ✍ Kavish

मेरे बारे में

स्याही की है नदियां, कागज की है जमीने... जज्बात डुबोकर नदी में, लिखता हूं धीमे-धीमे... रियासत में मैं हूं सिर्फ, शब्दों की है मिल्कियत मेरी... अल्फाजों से जान-पहचान है, यही है शख्सिय...

आफताब नजर आता है

जब कोई अंधेरे में खो जाए, उजाला ख्वाब नजर आता है... आंखों के बुझते दीयों के नीचे, खारा आब नजर आता है... जैसे तैसे निकल आए बाहर , अंधेरे की तन्हाइयों से... तो छोटे से जुगनू का उजाला भी, उस...

दीद के लिए

मशिय्यत उठी है खुश करने को, किसी करीब के लिए... नजरों की तलाश जारी है अंधेरों में, एक नींद के लिए.. हाथ-पांव पटक पटक के जमीन पर, छाले पाल लिए हैं.. तिश्नगी उतरी है आंखों में, बस एक तुम्...

किनारे खाली हैं

साथ तुम्हारे चलने को, खुद से ही कितना लड़े हैं.. आ जाओ अब तुम भी, फ़क़त अब हम तन्हा खड़े हैं... ले जाकर दिखाना चाहता हूं ,वो जगह इश्क़ की.. चलकर देख सुनसान है सब, सारे किनारे आज खाली पड...

पत्थर मार लो जरा

कहते हैं बहुत से लोग मुझसे, रिश्ते सारे संवार लो जरा.. कोई कहे कुछ भी , बस सुनकर हार मान लो जरा.. स्वाभिमानी मेरे चहेते पर, हाथ में पत्थर थमाकर कहते हैं.. उन्होंने ईंट मारी है तुमको,...