एक कप चाय सिर्फ तुम्हारे साथ

एक कप चाय सिर्फ तुम्हारे साथ
आओ चलें मिलते हैं ना अनजान की तरह
तुम हां तुम जिसे मैं कभी जानता था
पहचानता था बेहद पास से !
आओ सारे किस्से तुम समेटकर लाना
मैं भी सारे किस्से समेट कर लाऊंगा !
मुस्कुराहट दिखाकर एक-दूसरे को
आमने सामने बैठ जायेंगे !
कुछ कहना सुनना बाद में होगा
एक कप चाय टेबल पर मंगवायेंगे !
मेरे किस्सों में तुम शामिल हो
उसके बाद के किस्से सुनाने लायक नहीं है !
अभी भी बसता है एक इत्र तुम्हारी कुर्बत का
जो मुझे नही दिखता पर तुम्हारे नजदीक कहीं है !
बात किये बीत गये कई साल हमारे
और खूबसूरत हो गये हैं बाल तुम्हारे !
वो जो आसमानी रूमाल हाथ में है ना तुम्हारे,
और मेरा रकीब साथ रहता है क्या तुम्हारे ?
दोनो ही बड़े खूबसूरत है रकीब और रूमाल,
पर क्या पोंछ देते हैं क्या आंसू तुम्हारे !
या आज भी तुम्हारी मासूम आंखे तलाशती है
उन्हीं हाथों को जिसने पोंछे थे आंसू तुम्हारे !
कुछ बातें है जो मुझे और कहनी है,
एक कप चाय तुम्हारे साथ पीनी है !
तुम्हें पता है आज भी उतने ही खूबसूरत हो तुम,
जितना कि दिल साफ है तुम्हारा !
आज भी तुमसे बात करता हूं ये दिल तेजी से धड़कता है !
आज भी ये दिल तुम्हीं से प्यार करता है !
माथे पर ना कभी शिकन
आज भी संवारे हुए बाल,
काली घटा सी जुल्फें तुम्हारी
और वही सुर्ख गुलाबी गाल !
आज भी वही मुस्कान
आंखों में गाढ़ा काजल
सब कुछ वैसा ही है
वैसा ही है
बस किस्से सारे तुम्हारे नये बने है !
और किस्से मेरे नही बने है !
काश
रश्मे वफा में शामिल ये बात हो जाए,
एक दफा और हमारी मुलाकात हो जाए !
एक कप चाय सिर्फ तुम्हारे साथ
एक कप चाय सिर्फ तुम्हारे साथ..!
Kavish

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