Ab dil nahi karta

नाराज हो जाते है मुझसे,
मैं मनाना भी जानता हूं..
पर किसी को मनाने का,
अब दिल नही करता..
                   
झुक तो मैं भी जाता था,
पर फिर गलत मैं ही ठहराया जाता..
बार-बार झुक जाने का,
अब दिल नही करता..

किसी से बात करता मैं,
बातें ठीक से करते नही थे वो...
बात करने का अब किसी से,
मेरा दिल नही करता..

मेरे हमदम खुश है साथ में,
पर ख़फा है कुछ लोग..
खफ़ा लोगों से हंसी-मजाक का,
अब दिल नही करता..

मंहगे पड़ जाते है मुझे
मेरे ही कहे सार्थक लफ्ज़..
हर बात पर बहस का,
अब दिल नही करता..
KAVISH KUMAR

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