Aaj bhi yeh mushafir chupchap bahut hai

एक मुसाफिर जिसमें धैर्य बहुत है..
एक मुसाफिर जो चुपचाप बहुत है..
उस मुसाफिर के पर लगे हुए हैं..
वो मुसाफिर उड़ता बहुत है..
पर एक दिन अपने सपनों की उड़ान में,
अपने ही लंबे सफर की थकान में..
वो जरा कच्चा पड़ गया..
सीधे ही जमीं पर गिर गया..
और मुसाफिर जो उड़ ना पाये कभी..
और मुसाफिर जो लड़ ना पाये कभी..
उसके पर काटने लगे वो..
उसके हौसले तोड़ने लगे वो..
पर उस मुसाफिर में धैर्य बहुत है..
माना कि अभी वो चुपचाप बहुत है..

उसने रोशन किये सपनों के ख्वाब सारे..
पंख फड़फड़ाये जेहन में रखे आसमान तारे..
इस बार थोड़ी और हिम्मत की उसने..
इस बार थोड़ी और मेहनत की उसने..
वो उड़ा जहां तक उड़ सकता था..
वो लड़ा जहां तक लड़ सकता था..
पर कसर थोड़ी और रह गई..
हिम्मत उसकी सब सह गई..
वो फिर जमीन पर आ गया..
वो फिर से मात खा गया..
पर उस मुसाफिर में धैर्य बहुत है..
माना कि अभी चुपचाप बहुत है..

फिर से दूसरो ने उसे नीचा दिखाया..
तू उड़ ना पायेगा ये उसे बताया..
इस बार उसने ठाना ,
मुझे कुछ कर के दिखाना है..
बहुत हो गया,
अब आसमान भेदकर दिखाना है..
जितना भी दर्द हो मैं सह जाऊंगा..
नयी कहानी मेरी सबसे कह जाऊंगा..
उसने दिन-रात को एक कर दिया..
मेहनत को ही अपना घर कर दिया..
उसने फैलाये पंख जितना फैला सकता था..
वो उड़ा जितना उड़ सकता था..
वो लड़ा जितना लड़ सकता था..
उसने सहा जितना सह सकता था..
आखिरकार सारे ख्वाब उसके सच हो गये..
आसमान उसकी मुट्ठी में कैद हो गये..
जो कल उसे डराते थे आज चुपचाप है..
वो फिर भी कुछ न बोला उनसे,
ये उसका सद-व्यवहार है..
आज भी वो मुसाफिर धैर्यवान बहुत है..
आज भी वो मुसाफिर चुपचाप बहुत है..
KAVISH KUMAR

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