किनारे पर आज भी
तुम्हारे लफ्ज़ कितने बदले , वैसा ही हूं मैं आज भी...
चाहत के निवाले तुमने नही परोसे, मेरे पास फिर भी मौजूद है आज भी..
इश्क़ मिजाजी लोग हो गए उस पार नफरतों के सैलाब से...
कश्ती लेकर इंतजार करता हूं, आकर देखो किनारे पर आज भी...
-Kavish
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