उनकी बांहों में

वो बदले थे खोये नहीं, इसलिए नही मिलते अब राहों में...
वो थे तो सुकून था , कच्ची धूप तथा छांवो में..
नींद के बंजारो का डेरा था, शायद उनके हाथों में...
गहरी नींद आती ,तभी तो उनकी बांहों में...
--A@tish Kumar

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