जिंदगी मायूस बैठी है
क्षितिज पर सूर्य की किरणें , अब तो फीकी है...
हवाओं का रुख बदला , लगता है ये भी बहकी है...
अकेला पड़ चुका है कोई, इसीलिए चुपचाप है आज...
शांत नदी के किनारे कचोटती मन को, जिंदगी मायूस बैठी है..
क्षितिज पर सूर्य की किरणें , अब तो फीकी है...
हवाओं का रुख बदला , लगता है ये भी बहकी है...
अकेला पड़ चुका है कोई, इसीलिए चुपचाप है आज...
शांत नदी के किनारे कचोटती मन को, जिंदगी मायूस बैठी है..
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