छोटे से बदन पर, गंदे लिबास का चोला था... मिट्टी में खेलते हाथों का, बचपन काफी भोला था.. गरमी वाला मौसम भी हार जाता था, बचपन से... माथे पर तपता सूरज होता, हाथों में 'बर्फ का गोला' था... ✍🏻 Kavish
उथल पुथल काफी है तुम में, मिलना जब तन्मय मिले.. बंजर बगीचा मन का, दिखाना जब विनय फूल खिले... वक्त की कमी में सुनोगे नही, पता है हमको.. पन्नों में उतार रहा हूं हर बात, पढ लेना जब समय मि...
कविता श्रंगार शब्दों से , चोले को मैला नहीं होने देते.. काफी सार्थक है मेरे हमदम, कोई झमेला नहीं होने देते.. संभाला मुझे भी है, जब तन्हाई ने आकर निमंत्रण दिया... ये परिवार मेरा अप...
चचंलता की झील मेरी, तुम्हारी शीतलता से जम जाती है.. फूलों की शोखियां , तुम्हारी छुअन से सहम जाती है.. सब दीवाने हैं तुम्हारे, इस मौहल्ले के किरदारों में.. देखना है कि तुम्हारी दी...
एक बूंद बनकर, समंदर में बह जाते तो अच्छा होता.. कुछ बातें झूठी ही सही पर ,हमसे ही कह जाते तो अच्छा होता... पहले बिखरा, फिर टूटा, अब तो पीस कर ही रख दिया इस दिल को... काश कभी कुछ न कहकर ,गलत...
पल दो पल की प्रीत पर खुश हूं, मैं इतना महरूम तो नही हूं... मैं खुद में सिमटा हुआ सा, तुम में मशहूर तो नही हूं... खुद के दर्द से बेवजह परेशान हो, बिना कोई वजह बताए... एक बार बोलो तो सही, मैं ...
😊जो कहना है कह दो ,औरों से मत सुनवायो तुम... मेरी दिल❤ की सदफ़ का गौहर तुम, इसे तो बहलाओ तुम.. रिश्तों की फिक्र है इसलिए, आंख दिखाने से सहम जाते हैं... बात है अगर तो बात करते हैं, आंखें ...
😊एक बार तुम मिलो फिर से , तुमसे प्रीत❤ हो जाए... विरह के पतझड़ से गिरे ❤दिल के पत्ते, तुम्हारे आने से हरित💚 हो जाए... दिमाग और दिल के बीच में द्वंद है काफी दिनों से ,पता है तुमको... अग...
एक बार बस एक बार, झूठा मुखौटा उतार लेना... गलतियों की सुधार को, थोड़ा और सुधार लेना... मैं बैठा हूं यहीं पर, मुझे पता है तुम हो सामने ... सबसे बात के बाद तन्हाई लगे अगर, झूठे से ही सही पर ...
खोया हूं किसी के आगोश में, बताने के हालात तो नहीं है.. अकेला हूं आशियाने में, वो अभी साथ में तो नहीं है.. इंसान की फितरत का कलंक है ,मोहब्बत के माथे पर.. वरना जिससे हम मिले , बड़ी नजाक...
तुम्हारे लफ्ज़ कितने बदले , वैसा ही हूं मैं आज भी... चाहत के निवाले तुमने नही परोसे, मेरे पास फिर भी मौजूद है आज भी.. इश्क़ मिजाजी लोग हो गए उस पार नफरतों के सैलाब से... कश्ती लेकर इं...
स्नेह , स्पर्श की बातें भला, छिपाता कौन है... अपना न होकर भी, रिश्ते निभाता कौन है... वो नजरों के नजरानो से ले गए, दिल तो हमारा... मांगने पर बोले, चुराई चीज आखिर लौटाता कौन है... @atish
वो बदले थे खोये नहीं, इसलिए नही मिलते अब राहों में... वो थे तो सुकून था , कच्ची धूप तथा छांवो में.. नींद के बंजारो का डेरा था, शायद उनके हाथों में... गहरी नींद आती ,तभी तो उनकी बांहों मे...
धूप तेज है बहुत, बड़ा पीलापन है... आसमा की ओर देखूं ,बड़ा फीकापन है... सफर जारी है अकेले ,एक मुसाफिर का अभी तो... सभी चले गए उठकर, फिलहाल जगह का खालीपन है..
क्षितिज पर सूर्य की किरणें , अब तो फीकी है... हवाओं का रुख बदला , लगता है ये भी बहकी है... अकेला पड़ चुका है कोई, इसीलिए चुपचाप है आज... शांत नदी के किनारे कचोटती मन को, जिंदगी मायूस बैठी ...